2019 लोक सभा चुनाव : क्या नरेन्द्र मोदी फिर से जीतेंगे ?
नरेन्द्र मोदी जी ने २०१४ का चुनाव आश्चर्य जनक सफलता के साथ जीता था | किसी को इतनी आशातीत सफलता की उम्मीद नहीं थी | २०१९ में फिर से लोक सभा चुनाव होने जा रहे हैं | २०१९ लोक सभा चुनाव के लिए बहुत सरगर्मी फैली हुई है और सभी तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं |
मित्रों देश में चुनावी हलचल बहुत ज़ोरों पर है | पूरा सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अनेकों ख़बरों से भरा पड़ा हुआ रहता है | समाचार पत्र भी पीछे नहीं है | २०१९ का चुनाव भारत के इतिहास का सबसे बड़ा चुनाव होने जा रहा है और इसमें कोई दो मत नहीं हो सकते |
आज wattsapp पर मेरे एक बहुत पुराने मित्र श्री आनंद त्रिवेदी जी ने पूछ लिए की क्या मोदी जी फिर से आ रहे हैं तो मैंने कहा की १ से २४९ तक का कोई क्रमांक मुझे बताइए और में कृष्णामूर्ति पद्धति से इसका उत्तर आपको देता हूँ अभी के अभी |
उन्होंने मुझे १९ नंबर दिया और ये है उस नंबर की बनी हुई कुंडली २०१९ लोक सभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी जी के लिए :
किसी भी कम्पटीशन में जीत के लिए षष्ठ भाव के उपनक्ष्त्र स्वामी की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है | यहाँ वह शनि है जो कि केतु के नक्षत्र में है और इस समय गोचर में शनि वक्री है | किन्तु चुनाव अभी नहीं होने हैं | शनि स्वयं ही दशम और लाभ का स्वामी है और वह अष्टम भाव में है |
केतु, जो कि शनि का नक्षत्र स्वामी है वह वक्री मंगल के साथ युति करके बैठा हुआ है और उस पर बुध की द्रष्टि भी है | किसी भी अन्य गृह की द्रष्टि केतु पर नहीं है | अतः केतु १,३,६,८,१०,११ भावों का कार्येष है | यही भाव विरोधी के लिए विरोधी हैं |
हम द्वादश भाव के उपनक्ष्त्र स्वामी को भी देखते हैं और वह ब्रहस्पति है जो की अभी कुछ ही दिन पहले मार्गी हुआ है | वह विरोधी के द्वादश स्थान में है और राहू के नक्षत्र में है | राहू बुध के साथ युति किये हुए है और मंगल से द्रष्ट है | अतः राहू विरोधी के ९, १०, 12, २, ७, और चतुर्थ भाव को दर्शाता है किन्तु यहाँ षष्ठ और लाभ स्थान नहीं हैं |
२०१९ लोकसभा चुनाव में विजयी की गणना करने में हामको लग्न और सप्तम भाव की स्थिति भी देख लेनी चाहिए की क्या वास्तव में नरेन्द्र मोदी के लिए उपरोक्त लग्न पर्याप्त बलि है की नहीं ?
लग्न का नक्षत्र ,उपनक्ष्त्र, और उप-उपनक्ष्त्र स्वामी स्वयं सूर्य है जो की एक राजसी गृह है | सूर्य ब्रहस्पति के नक्षत्र में विराजमान है जो कि षष्ठ भाव में है| सूर्य अपने ही उपनक्ष्त्र में है | अतः लग्न बहुत बलि है | इसमें कोई दो मन नहीं हो सकते |
सप्तम भाव का उपनक्ष्त्र स्वामी शुक्र है | शुक्र स्वयं ही लाभ स्थान में है | शुक्र केतु के नक्षत्र में है और बुध के उपनक्ष्त्र में है | हमने अभी देखा की केतु विरोधी के सभी खराब भावों को पदर्शित कर रहा है | निश्चित रूप से सप्तम भाव भे बलि है किन्तु लग्न जितना नहीं है |
हमको दशम भाव भी देखना चाहिए और यहाँ दशम भाव का उपनक्ष्त्र स्वामी मंगल है जो की अभी वक्री है किन्तु येही मंगल चंद्रमा के नक्षत्र में है जो दशम भाव में स्थित है | मंगल का उपनक्ष्त्र स्वामी राहू है जो की बुध के साथ युति किया हुआ है |
चतुर्थ भाव का उपनक्ष्त्र स्वामी चंद्रमा है केतु के नक्षत्र में है और शुक्र के उपनक्ष्त्र में है | शुक्र स्वयं ही केतु के नक्षत्र में है |
अतः दशम भाव भी लग्न के लिए अधिक बलि सिद्ध हो रहा है |
जब चुनाव होंगे तब सूर्य का अंतर केतु की महादशा में चल रहा होगा | सूर्य जैसा की ऊपर बताया है गुरु के नक्षत्र और स्वयं के उपनक्ष्त्र में है अतः लग्न के लिए अधिक फलदायी है | क्योंकि वह विरोधी के द्वादश भाव का उच्च कोटि का प्रदर्शक है |
अगर हम अभी के रूलिंग गृह लें तो :
Ls= Ketu
L= Jupiter
Ms =Ketu
Msi = Leo= Sun
Day Lord = Sun
अभी १७:२६ , १५-०७-२०१८, नई दिल्ली के रूलिंग गृह सभी लग्न के लिए पॉजिटिव हैं और विरोधी के लिए नहीं |
निष्कर्ष : वर्ष २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी फिर से जीतेंगे और पुनः देश के प्रधान मंत्री बनेंगे |
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